आज भी मुस्लिम अपने कौमी एजेंडे के अनुसार एकजुट है और उसी के तहत अपनी जेहादी सोच पर काम कर रहा है।हिन्दू पहले भी भटका हुआ था और आज भी है । इस लोभी और अदूरदर्शी हिन्दू समुदाय ने 1000 हजार साल की गुलामी तो कबूल कर ली ,परंतु न तो आपने निजी स्वार्थों को छोड़ना उचित समझा और न ही अपनी भावी नस्लों की सुरक्षा की कभी कोई चिंता की। हिन्दुओं की इसी अदूरदर्शी सोच के परिणाम स्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। अफसोस की बात तो यह है कि अपने राष्ट्र का एक तिहाई भाग मुस्लिमों के हाथों गंवा कर भी वोटों के लोभ में मुस्लिमों को यही बसने की छूट दे दी।
तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने धर्म के आधार पर बंटवारे के बावजूद भारत को धर्मनिरपेक्षता का चौला पहनाकर अंधेरी राह पर छोड़ दिया दूसरी ओर पाकिस्तान मजहबी मुल्क बना। मुसलमानों ने शुरू से एक ही सोच को अपनाया हुआ है कि किसी भी तरह से इस देश को इस्लामिक राज्य में परिवर्तित किया जाए यही इनका जेहाद है। और इसी जेहादी सोच ने धर्म के आधार पर भारत के एक तिहाई भाग पर इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान बना लियाऔर बहुत बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में भी बसाए रखने में कामयाब रहे। 1947 की यह घटना हिन्दू और मुसलमानो की सोच को समझने के लिए पर्याप्त है।वोटों के लोभ में हिन्दू कांग्रेसी नेताओं ने शेष भारत में भी जेहादी तत्वों को बसाकर ,भविष्य में देश को गर्त में पहुंचाने का ही काम वर्षों पहले कर दिया था। आज हिन्दुओं की लालची सोच के नए अवतार केजरीवाल, ममता,अखिलेश यादव, गांधी परिवार और तमाम कथित बुद्धिजीवी संगठन और पत्रकार आदि भी अपने -2 निजी स्वार्थों के लालच में देश के भविष्य को गर्त में धकेलने में जुटे हैं। मुस्लिम जेहादी सोच ने पाकिस्तान में गैरमुस्लिमों को 70 सालों में लगभग समाप्त कर दिया और भारत के वोटों के लोभी नेताओं ने मुस्लिमों को अपने सिर पर बैठा कर उन्हेंअपना जेहादी एजेंडा चलाए रखने की खुली छूट प्रदान कर दी। इसी जेहादी सोच के कारण कश्मीर से हिन्दुओं का पलायन, केरल और बंगाल में हिन्दुओं का उत्पीड़न और अब शाहीन बाग जैसे आंदोलन हैं जो आगे चलकर एक बार फिर देश की एकता-अखंडता के लिए नासूर ही साबित होंगे ।लेकिन हिन्दू है कि जो इतिहास से कोई सबक नहीं लेना चाहता, वो आज भी बिजली पानी को फ्री में पाने के लिए अपना समर्थन उस पार्टी को देता है जो देश के टुकड़े टुकड़े -करने वाले गैंग का समर्थन करता है, हिन्दू -मुस्लिमों में भेद करता है, मस्ज़िद – मौलवियों को आर्थिक सहायता देता है और मंदिरों और पुजारियों की उपेक्षा करता है। देश की सेना पर सवाल खड़ा करता है और दंगाइयों को आर्थिक सहायता देता है।(वॉयस ऑफ भारत) |