दिल्ली (अश्विनी भाटिया)/हमारा सदियों से चलता आ रहा देव स्थान मुक्ति अभियान राम मंदिर के निर्माण तक ही नहीं रुकना चाहिए। पिछले कई शताब्दियों से हमारी संस्कृति और सभ्यता को नष्ट– भ्रष्ट करनेवाली राक्षसी ताकतें आज भी हमें समूल समाप्त करने की साजिशों में लगी हैं।
श्री राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए हम लगभग पांच सौ साल तक लडे और लाखों लोगों ने अपना जीवन भी कुर्बान कर दिया ,तब जाकर हम कोर्ट से इसको मुक्त करवाने में सफल हुए। यह हमारी पहली विजय है और यही विजय यात्रा हमको मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और काशी में बाबा विश्वनाथ सहित अन्य देव स्थानों को मुक्त करवाने तक जारी रखनी होगी। हमारा संकल्प दृढ़ रहना चाहिए और संघर्ष करने की शक्ति क्षीण नहीं होनी चाहिए। श्री राम मंदिर के निर्माण के प्रारम्भ होने के साथ ही जो अधर्मी ताकतें इसको ध्वस्त करने की धमकियां दे रही हैं, उनके मजहब ने उन्हें यही सिखाया है कि दूसरे धर्मों को तलवार के बल पर ख़तम कर दो और उनके देवालयों को तोड़कर अपनी इबादतगाह बना डालो। हम और हमारा धर्म बेशक हमें दूसरों का अपमान और उन पर अन्याय करने की शिक्षा नहीं देता पर हमें अपमान और अन्याय सहकर चुप बैठने को भी नहीं कहता। अधर्मी और अन्यायी ताकतों से हमारे देवी- देवता और अवतार अपने -अपने समय में उनसे लडे भी और उनका विनाश भी करके माने। हमारे दिल में अगर अपने देवताओं और अपने अवतारों-श्री राम-श्री कृष्ण के प्रति तनिक भी श्रद्धा है तो,हमें भी इन आसुरी शक्तियों और हिंसक ताकतों से लडना ही होगा ।अपना धर्म, राष्ट्र और संस्कृति को बचाने का हमारा जो संघर्ष पिछले 13 सौ वर्षों से चल रहा है, उसको भविष्य में भी अनवरत तब तक जारी रखना होगा जब तक इन अत्याचारी, हिंसक और अधर्मी आसुरी ताकतों का हम समूल नाश न कर देते। इसी में हमारी श्री राम की आराधना है, इसी में श्री की भक्ति है और इसी में भोले बाबा की पूजा है। जय भवानी ।जय श्री राम। जय श्री कृष्णा। ओम नमो शिवाय।( वॉयस ऑफ भारत) |