काश हिन्दू क्ट्टर और आतंकवादी होता तो देश और दुनिया का नक्शा कुछ अलग होता। भारत और हिन्दू एक हजार साल तक गुलाम न होता। न कोई मोहम्मद बिना कासिम ,महमुद गजनवी, मोहम्मद गौरी , तैमूर लंग , बाबर, अहमद शाह अब्दाली , नादिर शाह जैसे इस्लामिक लूटेरे भारत में आकर लूटपाट और रक्तपा न ही मुगल साम्राज्य स्थापित होता ओर न ही औरांगजेब जैसा अत्याचारी शासक हिन्दूयों का नरसंहार करता। शासन भारत को अपना गुलाम बनाता। और न ही ऐ ओ ह्यूम जैसा विदेशी कांग्रेस की स्थापना करता। न ही गांधी– नेहरू– ज़िन्ना जैसे कथित नेता अंग्रेजों के इशारे पर भारत माँ का सीना चिरवाकर पाकिस्तानी नासूर पैदा करते और न ही लाखों लोगों का कत्लेआम होता और न करोड़ों हिंदुओं को अपनी मातृभूमि को छोड़कर अपने ही देश में शरणार्थी कहलाते। अगर हिन्दू 1947 में भी कट्टर और आतंकी बन जाता तो इस देश में न ही कोई धर्मनिरेक्षता का राग गानेवाला होता और न ही देश में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध एकजुट होने का नारे लगाने वाले नेता अपना सत्ता हथियाने का खेल खेल रहे होते। काश हिन्दू कट्टर होता तो यह सेकुलरवाद का कीड़ा भी कथित बुद्धिजीवीवियों के दिमाग में अपना घर बनाता।काश हिन्दू अब भी कट्टर और आतंकी हो जाये तो शायद भारत की साडी समस्याओं का हल निकल जाये। शायद ऐसा होता तो संजय लीला भंसाली जैसा भांड और सिर्फ पैसे को अपना धर्म –इमान बना चुके और खुद को अभिव्यक्ति का स्वयंभू पूरोधा मान चुके यह हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त लोग पद्मावती जैसी राजपूत वीरांगना के चरित्र का हनन करने की चेष्टा करना तो दूर ऐसी कल्पना भी नहीं कर पाते। पर अफ़सोस हिन्दू ऐसा नहीं बना है परन्तु अगर हिंदुओं के प्रतिमानों और अस्मिता से कोई खिलवाड़ करेगा तो सदियों से शांति का मन्त्र जाप करनेवाला हिन्दू अब कट्टर और आतंकी बन जाने को मजबूर हो जायेगा।त करते। |
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