आजकल कुछ राजपूत उस कांग्रेस की वकालत कर रहे हैं जिसने मुस्लिम वोटों की खातिर परम् देशभक्त और महाबलिदानी महाराणा प्रताप को इतिहास की पुस्तकों में कोई महत्व न देकर मुस्लिम आक्रांता के वंशज अकबर को महान बताया। भारत के राष्ट्र भक्तों को सम्मान देनेवाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का का विरोध करते हुए यह भी कह रहे हैं कि उनको हिन्दू –मुस्लिम से कुछ लेना –देना नहीं है सिर्फ रोटी –रोजी से ही मतलब है। ऐसे लोगों से मेरा तो यही कहना है कि या तो वो राजपूत ही नहीं हैं या उन्होंने राजपूतों का इतिहास ही नहीं पढ़ा है। उनको चाहिए कि वो पहले राजपूतों का सही इतिहास पढ़ लें और कांग्रेस की उसके जन्म से लेकर अब तक की कारगुजारिओं को भी अच्छी तरह से पढ़ –समझ लें। जो राजपूत सिर्फ रोटी –रोजी के लिए जी रहे हैं तो उन पर धिक्कार है क्योंकि राजपूत रोजी –रोटी और अपनी सुख –सुविधा से अधिक अहमियत अपने स्वाभिमान और राष्ट्र के सम्मान को देता है। जो ऐसा नहीं सोचता या तो वह राजपूत ही नहीं है या फिर उसमें राजपूती रक्त का भान ही नहीं है क्योंकि राजपूत तो जीता ही अपने स्वभिमान और मां भारती के सम्मान की रक्षा के लिए है। पेट तो कुत्ता भी भर लेता है लेकिन उसको स्वाभिमानी जीवन जीना नहीं आता। दर –दर भटकता है और दुत्कारा जाता है लेकिन फिर भी उन्ही दरवाजों पर बार –बार जाता है। सिर्फ अपनी रोजी –रोटी और ऐशो –आराम के लिए जीनेवाले लोग महाराणा प्रताप के वंशज हो ही नहीं सकते। हो सकता है ऐसी सोच रखनेवालों को मानसिंह और जयचंद से प्यार हो और उनका आदर्श यही लोग हों जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए अपनी राजपूती आन –बान –शान और स्वाभिमान को तो रौंदा ही साथ ही अपनी मातृभूमि को भी विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं के हवाले कर दिया था।इस बात का भी इतिहास गवाह है की अगर कुछ राजपूत अपने निजी द्वेष और स्वार्थपूर्ति के कारण अपनी ही कौम के विरुद्ध मुस्लिमों का साथ न देते तो यह महान देश भारत मुठीभर विदेशी मलेचछों का सदियों तक गुलाम नहीं बना रहता । महाराणा प्रताप भी अगर अपने निजी स्वार्थों की खातिर अकबर के कदमों में अपना स्वाभिमान गिरवी रख देते तो हो सकता है वो मानसिंह से भी बड़ा औहदा अकबर से प्राप्त कर लेते परन्तु उनकी रगों में दौड़ रहे राजपूती स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त खून ने उनको यह नहीं करने दिया। उन्होंने अपनी सुख –सुविधाओं से अधिक अपने स्वाभिमान और मां भारती के सम्मान को अहमियत दी और अपना सब कुछ– राष्ट्र की मान –मर्यादा–मातृभूमि की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिया। हमें गर्व है कि हमारी रगों में आज भी ऐसे स्वाभिमानी महाबलिदानी क्षत्रिय का रक्त दौड़ता है न कि मुस्लिम आक्रांताओं की गुलामी करनेवाले मानसिंह जैसे स्वार्थी लोगों का और हमारा आदर्श पुरुष भी महाराणा प्रताप ही है कोई स्वार्थी पदलोलुप व्यक्ति नहीं। जहां तक कांग्रेस की बात है तो आज़ादी के बाद इसी की सरकार ने देश के राष्ट्र भक्त भारत मां के वीर सपूत महाराणा की कुर्बानी को नजरअंदाज करके विदेशी मुस्लिम आक्रांता अकबर को इतिहास की पुस्तकों में ‘अकबर महान ‘के रूप में दर्ज़ करवा दिया। आज हमें यह खुद सोचना पड़ेगा और फैंसला भी करना पड़ेगा कि हमारी रगों में स्वाभिमानी राष्ट्रप्रेमी वीर बलिदानी महाराणा का रक्त दौड़ता है या देश और कौम के स्वाभिमान को विदेशी आक्रांताओं के पास गिरवी रखकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करनेवाले किसी देशद्रोही का। जय मां भवानी। [अश्विनी भाटीया ] |