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देश से काटकर अलग कर दिए गए इलाके हमारे हैं और भारत इनको लेकर रहेंगे ,यह हर भारतीय का संकल्प ही
नहीं धर्म भी है।
यह बात
बिलकुल सही
है जो भूमि
भारत की है और
जो हमारे
नपुंसक
लीडरों के
कारण अतीत
में देश से
काटकर
हमारे से अलग
कर दी गयी उस
पर हमारा हक़
है और हम इसको
हर हाल में
लेकर ही
रहेंगे। यह
हमारा
संकल्प है और
हर भारतीय का
यह धर्म भी है
.जो लोग आज देश
में
धर्मांतरण
को लेकर हो
हल्ला मचा
रहे हैं
उन्हें न तो
भारत से
प्रेम है और
ना ही इस देश
के लोगों की
सुरक्षा का
कोई लेना -
देना है। यह
लोग और दल
सिर्फ और
सिर्फ
सत्तालोलुप
हैं और वोटों
की खातिर
अपने देश की
अस्मिता
,लोकतंत्र
,एकता और
सुरक्षा को
भी नज़रअंदाज़
कर रहे हैं .हम
आरएसएस के
प्रमुख श्री
मोहन भागवत
जी की बात का
पूर्ण
समर्थन करते
हैं। इस बात
का सभी को भली -
भांति समझ
लेना चाहिए
कि भारत में
लोकतंत्र और
धर्मनिरपेक्
;षता तभी तक
कायम है जब तक
यहां हिन्दू
बहुसंख्यक
हैं जिस दिन
भी मुसलिम
बहुमत में आ
गए वो दिन इस
देश से
लोकतंत्र और
धर्मनिरपेक्
;षता के लिए
अंतिम दिन
होगा ,इस बात
का प्रमाण
अफगानिस्तान
; ,पाकिस्तान
और
बांग्लादेश
जैसे दुनिया
के अनेक देश
हैं। जहां
भी इस्लाम
बहुमत में
आया और वहां
से लोकतंत्र
और
धर्मनिरपेक्
;षता का जनाज़ा
उठ गया
.सेकुलरता का
राग अलापने
वाले नेताओं
को यह
भलीभांति
जानकारी है
कि उनकी आवाज़
भी तभी तक
निकल रही है
जब तक भारत
में
हिन्दुबाहुल
;ता है अन्यथा
सीरिया ,इराक़
,पाकिस्तान
और साऊथ
अफ्रीका के
कई मुस्लिम
ताकतों के
आतंकी
जेहादियों
की चपेट में
आने के बाद
वहां किस तरह
से मानवता का
लहू बहाया जा
रहा
है।.आश्चर्य
कि बात यह है
कि यह सारा
खून -खराबा
अल्लाह के
सन्देश को
फ़ैलाने के
नाम पर किया
जा रहा है।
अभी पेशावर
में स्कुली
बच्चों के
नरसंहार की
घटना इसका
सबसे ताज़ा
उदहारण
है।यह भी
सत्य है कि
आदिकाल से
भारत और
हिन्दुओं पर
ही हमला हुआ
है और जबरन
हिन्दुओं को
ही मुस्लिम
और ईसाई
बनाया गया।
अगर आज यह
भूले -भटके
हिन्दू अपने
मूल धर्म में
लोटना चाह
रहे हैं तो हो -
हल्ला क्यों ?
क्या अपने
धर्म और मजहब
का विस्तार
और फैलाव
करने का
एकआधिकार
सिर्फ
मुसलमानो और
ईसाई मिशनरी
को ही है ?वो भी
लालच ,लोभ
,गुमराह और
बलात करके
जबकि हिन्दू
संगठन ऐसी
कोई
मानसिकता
नहीं रखते।
इस पर भी अगर
कथित
सेक्युलर
लोग शोर -
शराबा करते
हैं तो वह
सिर्फ अपने
वोटों को
खोने के
अज्ञात भय के
कारण ऐसा कर
रहे हैं। अगर
वास्तव में
ही यह
सेक्युलर
लोगों को
भारत के
धर्मनिरपेक्
;ष स्वरूप की
चिंता होती
तो यह कश्मीर
में जबरन
पंडितों को
मुसलमान
बनाने और
केरल , उड़ीसा
व् उत्तर
पूर्वी भारत
के आदिवासी
इलाकों में
ईसाई मिशनरी
द्वारा बड़ी
मात्र में
गरीब लोगों
को गुमराह और
लोभ देकर
हिन्दू धर्म
से पलायन
करने की
करतूतों पर
भी इसी तरह हो -
हल्ला करते
,लेकिन
उन्होंने
ऐसा क्यों
नहीं किया ?
इसका जवाब इन
कथित
सेक्युलर
लोगों और
लीडरों से
हिन्दू समाज
को पूछने का
पूरा अधिकार
है।
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